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मैं कवि हूँ कविता करता हूँ।।साहित्य-सुख़न।।Mai Kavi Hun Kavita Krta Hun
साहित्य- सुख़न
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कोई उम्मीद बर नहीं आती ||साहित्य_सुख़न||मिर्ज़ा ग़ालिब||Koi Ummid Bar Nahi Ati
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कवि की वासना||हरिवंशराय बच्चन||साहित्य-सुख़न
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तुझे ऐ ज़िंदगी हम दूर से पहचान लेते हैं||फ़िराक़ गोरखपुरी||साहित्य_सुख़न
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जहाँ दया तहाँ धर्म है||कबीर||साहित्य-सुख़न
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बर्बाद गुलिस्ताँ करने को||शौक़ बहराइची||साहित्य_सुख़न
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तुम्हारे साथ रहकर||सर्वेश्वरदयाल सक्सेना||साहित्य-सुख़न||Tmhare Sath Rah kar