Anksatva Academy (अंकसत्व)
गोपाष्टमी अर्थात गोविन्द और गो माता का पूजन अर्चन lविदित हों कि गो माता मे तैंतीस कोटि देवताओं का वास रहता है l जिस घर गाय रहती है वहां किसी प्रकार का वास्तुदोष, प्रेत बाधा या पितर दोष नहीं रहता है l वहां सुख समृद्धि शांति का वास व्याप्त रहता है l रामायण में वर्णित है - गरल सुधा रिपु करे मिताई l गोपद सिंधु अनल सितलाई ll अर्थात् गाय के पद (खुर) में सिंधु (सागर) के समान शीतलता व्याप्त रहती है l इसीलिये गोशाला की मिट्टी लाकर उसे घर के पूजा स्थान में रखना चाहिए l उस मिट्टी का थोड़ा थोड़ा छिड़काव घर के हर कमरे में भी करना चाहिए l क्योंकि जहां गौ माता रहती हैं या उनके खुर की मिट्टी रहती है, वहां 33 कोटि देवों का वास रहता है l भगवान कृष्ण इस महत्ता को जानते थे इसीलिये वे गोप गोपी के साथ गाय चराते एवं अपनी लीलाएं करते थे lकुछ भी न कर पाएं तो गौ माता को आज के दिन यथा सम्भव कुछ भी खिला कर उनके चरण,पीठ, ग्रीवा का स्पर्श करें, नवग्रहों की बाधाएं दूर होंगी |
2 months ago | [YT] | 2
Anksatva Academy (अंकसत्व)
गोपाष्टमी अर्थात गोविन्द और गो माता का पूजन अर्चन l
विदित हों कि गो माता मे तैंतीस कोटि देवताओं का वास रहता है l
जिस घर गाय रहती है वहां किसी प्रकार का वास्तुदोष, प्रेत बाधा या पितर दोष नहीं रहता है l
वहां सुख समृद्धि शांति का वास व्याप्त रहता है l
रामायण में वर्णित है -
गरल सुधा रिपु करे मिताई l
गोपद सिंधु अनल सितलाई ll
अर्थात् गाय के पद (खुर) में सिंधु (सागर) के समान शीतलता व्याप्त रहती है l
इसीलिये गोशाला की मिट्टी लाकर उसे घर के पूजा स्थान में रखना चाहिए l उस मिट्टी का थोड़ा थोड़ा छिड़काव घर के हर कमरे में भी करना चाहिए l
क्योंकि जहां गौ माता रहती हैं या उनके खुर की मिट्टी रहती है, वहां 33 कोटि देवों का वास रहता है l
भगवान कृष्ण इस महत्ता को जानते थे इसीलिये वे गोप गोपी के साथ गाय चराते एवं अपनी लीलाएं करते थे l
कुछ भी न कर पाएं तो गौ माता को आज के दिन यथा सम्भव कुछ भी खिला कर उनके चरण,पीठ, ग्रीवा का स्पर्श करें, नवग्रहों की बाधाएं दूर होंगी |
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