Hitesh Rastogi

एक बार रावण अपनी शक्ति के घमंड में आ गया और अपनी शक्ति दिखाने के लिए भगवान शिव के निवास कैलाश पर्वत को उठाने का निर्णय लिया। उसने बड़ी आसानी से पर्वत को उठा लिया, लेकिन जैसे ही वह उसे आगे बढ़ाने की कोशिश करने लगा, भगवान शिव ने अपने पैर के अंगूठे से हल्का सा दबाव डाला, जिससे पर्वत वहीं रुक गया।

रावण पर्वत के भारी भार के नीचे फँस गया और खुद को मुक्त नहीं कर सका। दर्द और निराशा में, उसने इतनी जोर से और गूंजती हुई चीख मारी कि उसकी आवाज पूरे ब्रह्मांड में गूँज उठी। उसने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए “शिव तांडव स्तोत्र” की रचना की और उसका गान किया। उसकी इस स्थिति को देखकर और उसके पश्चाताप व भक्ति से प्रसन्न होकर, भगवान शिव ने उसे “रावण” नाम दिया। यह नाम संस्कृत के मूल शब्द “रव” (जो जोर से रोने या गर्जना करने का अर्थ देता है) से लिया गया है।

इस प्रकार “रावण” का अर्थ है “वह जो जोर से गर्जना या रोना करता है,” जो उसके साहस और भगवान शिव के सामने दिखाई गई विनम्रता दोनों को दर्शाता है।
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2 months ago | [YT] | 44