Rakesh Sharma Bikaner

रावण के पुतलों के लिए प्रसिद्ध एशिया का सबसे बड़ा मार्केट तातारपुर
दिल्ली में छाया रावण का राज
तातारपुर रावण के पुतलों के लिए मशहूर है और उसे एशिया में इस तरह का सबसे बड़ा बाजार माना जाता है।
बुराई का प्रतीक रावण यूं तो लंका का राजा था मगर सितंबर-अक्टूबर में उसका राज दिल्ली में होता है। पश्चिमी दिल्ली के टैगोर गार्डन और सुभाष नगर के बीच संकरा इलाका तातारपुर पड़ता है, जहां हर साल दशहरे से पहले रावण का दरबार सज जाता है और चारों ओर रावण, कुंभकर्ण तथा मेघनाद ही नजर आते हैं। तातारपुर रावण के पुतलों के लिए मशहूर है और उसे एशिया में इस तरह का सबसे बड़ा बाजार माना जाता है। तातारपुर में बने ये पुतले दिल्ली में ही नहीं उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और कई बार तो विदेश तक जाते हैं।
तातारपुर में घूमेंगे तो आपको बड़ी-बड़ी भुजाएं, मुड़े हुए पैर, तंबू जैसे घाघरे, विशाल तलवारें और विचित्र मूंछों वाले छोटे-बड़े चमकीले कागज के चेहरे सड़क के किनारे दिख जाएंगे। उनमें कुछ रंगे होंगे और कुछ रंगने का इंतजार कर रहे हों। इन सभी से अलग-अलग आकार के रावण बनते हैं मगर बाजार में सबसे ज्यादा धूम मझोले कद के रावण की है। 10 साल से रावण बना रहे पुनीत बताते हैं कि इस साल सबसे ज्यादा मांग मझोले कद के रावण की ही है।
एक समय था जब पटाखों की आवाज के साथ रावण के चिथड़े उड़ते देख बच्चे रोमांचित हो जाते थे मगर अब यह आनंद दिल्लीवासियों से छिन गया है। प्रदूषण पर काबू रखने के लिए इस साल भी राजधानी में पटाखों की खरीद और बिक्री पर पूरी तरह प्रतिबंध है। पर्यावरण के अनुकूल ग्रीन पटाखे मिल रहे हैं मगर प्रतिबंध का असर रावण की बिक्री पर पड़ा है।
तातारपुर में कारीगरों के चेहरे अच्छी मांग से खिल जरूर गए हैं मगर मुनाफा घटने की टीस भी चेहरे पर साफ नजर आ रही है। करीब 40 साल से रावण बना रहे विजेंद्र कुमार कहते हैं कि रावण को तैयार करने में लगने वाले कच्चे माल (बांस, आटा, पेपर और पेंट आदि) के दाम पिछले 1 साल में ही करीब दोगुने हो गए हैं। इससे रावण बनाने की लागत भी बढ़ गई है मगर पुतले की कीमत में नाम मात्र का इजाफा हुआ था। पिछले साल 500 से 750 रुपये फुट बिकने वाला पुतला इस बार 800 से 1200 रुपये फुट पर मिल रहा है।

3 months ago | [YT] | 95