Anil Hanslas Bhaiya JI

माता - पिता के संस्कारो एंव सदवृतियो ने 'भईया जी' को बचपन से ही कुलीनता, सद्चरित्रता, सदभाव एंव ईश्वरीय लगन की ओर उन्मुख कर दिया । जहा एक और कर्म में विश्वास रखने वाले कमर्ठ पिता जी से उन्हें सच्चाई, ईमानदारी एव कर्मनिष्ठता के सद्गुण मिले वही दूसरी ओर माँ के आँचल की शीतल छाया में परमात्मा के प्रति दिव्या संस्कारो की प्राप्ति हुई । भक्ति- भावना धीरे - धीरे कब उनके चरित्र के साथ एकाकार होती गयी सायद वे स्वयं भी न जान पाये । संतजनों ने नवजात शिशु के ग्रह देखकर उसका मस्तक पढ़कर बचपन में ही कह दिया था की यह बालक साधारण गृहस्थ नहीं अपितु ईश्वर की आसिम अनुकंपा का हकदार होगा, परमात्मा द्धारा दिखाई गई राह पर चलकर जन-कल्याण का कार्य कर आपने परिवार का नाम रौशन करेगा |

आगे चलकर यही भविष्वाणी सत्य शिद्ध हुई । शिशु काल से ही 'भईया जी' का मन भजन संकीर्तन एंव सद्पुरुषो की वाणी में रमता था । महज 10 वर्ष की छोटी अवस्था में ही उन्होंने अपनी मधुर वाणी का प्रथम परिचय दिया |

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