बोध बिंदु

बोध माने जानना और जानना ही जीवन है। माने बोध ही जीवन है। इसलिए, बोध हमारी पहली ज़िम्मेदारी है। जब हम अपनी इस ज़िम्मेदारी को पूरा करते हैं, तभी भीतर प्रेम उठता है और यही प्रेम हमें सुंदर बनाता है। जब हम सुंदर हो जाते हैं, तो हमारे संबंध - एक दूसरे से, पृथ्वी से, पर्यावरण से, पशु-पक्षी से, पेड़-पौधे से, पहाड़ों से, नदियों से - सुंदर और स्वस्थ हो जाते हैं। यही अध्यात्म है।

आचार्य प्रशांत जी आज के समय में इन मुद्दों पर बेबाकी से अपनी बात रखने वाले एक मात्र व्यक्तित्व हैं। "बोध बिंदु" आचार्य प्रशांत जी के झारखंड के छात्रों द्वारा संचालित मंच है, जो उनकी शिक्षाओं को विभिन्न तरीकों से जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास कर रहा है।

आप भी इस महत्वपूर्ण यज्ञ का हिस्सा बनें और आचार्य प्रशांत जी की शिक्षाओं को समझकर एक बेहतर इंसान बनें। अपना जीवन और इस पृथ्वी को सुंदर बनाएं।

लाश होने से पहले आकाश हो जाओ।
रात होने से पहले प्रकाश हो जाओ।
~ आचार्य प्रशांत

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