The Fourth Pillar

द फोर्थ पिलर के पन्ने पर आप पहुंचे हैं, हमें खूब अच्छा लगा. ये वातानुकूलित कमरे और निगम संस्कृति (कॉर्पोरेट कल्चर) से भागे हुए लड़के- लड़कियां हैं. जिन्हें मेट्रो सिटी के धुंधलके से छिप जाने वाले गांव-गरान के मसलों ने खींच लाया है. ये बुलेट मोटर साइकिल और डबल डेकर बस पर चढ़कर बजट और चुनावी नतीजों पर शोर मचाना नहीं जानते. पर साफ़ शब्दों में बाबा की बीड़ी का दाम कितना बढ़ा और चाची को तेल अब कितने में मिलेगा या रहमान की गाड़ी का पेट्रोल कितना और क्यों बढ़ा ये साफ़ शब्दों में बताना जानते हैं. शिक्षा पर सवाल हो या दहेज की मांग हो, ये जनताना सवालों पर मुकम्मल वार करना जानते हैं. ये भागे हुए लड़के-लड़कियां हैं जो किताब के सफ़हों से पत्रकारिता का मसाल जलाना जानते हैं.