Rakesh Sharma Bikaner

Hi Everyone ,
Thank you for taking the time to look into my videos
I did my post Graduation in zoology from university of Rajasthan ,Jaipur, India.
after Post Graduation I had been selected in SBI Bank and after Completed my 36 years service in SBI Bank in Bikaner , I joined as Senior Photojournalist in Yugpaksha news paper and Electronic media too
I interested in the Wildlife photography and Videography ,I have passion about Bird watching and Photographing them and keen interest in Rail fanning being a Rail Enthusiast. I Love Indian Railways and its Powerful Beast Diesel Loco and Steam Loco , As I was a ward of Rail employ I always Love and affection to Indian Railways My hobby are Photography and music . I Love to Cultural Heritage of Rajasthan , Thar desert has a deserted area with less vegetation and meager rainfall , Love to shoot Nature and it wild flora and fauna in Mother Nature and portraits


Rakesh Sharma Bikaner

22632 दिनांक 24 11 24 से बीकानेर से सदैव के लिए End to End इलेक्ट्रिक ट्रेक्शन से संचालित की जाएगी

गाड़ी संख्या 22632 बीकानेर से मदुरई अनुव्रत एसी सुपरफास्ट एक्सप्रेस जो कि प्रत्येक संडे को बीकानेर से दोपहर में 3:20 पर चलती थी को दिनांक 24 11.2024 से End to End इलेक्ट्रिक ट्रेक्शन दे दिया गया है यह दिनांक 19. 11.24 के सर्कुलर से आदेश पारित हुआ है अब इस गाड़ी में बीकानेर से TKD तुगलकाबाद शेड का जो की WCR रेलवे का लोको है वह इसे सवाई माधोपुर तक लेकर जाएगा और सवाई माधोपुर में साउदर्न रेलवे का रॉयपुरम शेड SR का लोको इसे सवाई माधोपुर से लेकर मदुरई तक end to end इलेक्ट्रिक ट्रेक्शन के साथ लेकर जाएगा इस प्रकार यह गाड़ी 22632 दिनांक 24 11 24 से बीकानेर से सदैव के लिए End to End इलेक्ट्रिक ट्रेक्शन से संचालित की जाएगी
नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे के सर्कुलर क्रमांक वर टी 425 ऑब्लिक लोको लिंक स्लैश इलेक्ट्रिकल चोपन 922 दिनांक 19 11 24 के अंतर्गत स्विचिंग ऑफ अट्रैक्शन फ्रॉम डीजल तो इलेक्ट्रिक ऑन और तो एंड बेसिस अर्थात डीजल क्षेत्र को अब अंत से अंत तक इलेक्ट्रिक टेंशन से संबंध कर दिया गया है आपको बताएं की गाड़ी संख्या 22631 और गाड़ी संख्या 22632 मदुरई बीकानेर और बीकानेर मदुरई जो की मदुरई से सवाई माधोपुर तक इलेक्ट्रिक ट्रेक्शन रॉयपुरम के साथ आया करता था जो कि सदन रेलवे का होता था और फिर सवाई माधोपुर से बीकानेर तक यह डीजल लोगों से ट्रेन आती थी जो कि बिजी कटक लवर डिवीजन के लोगों से आई थी इसको ट्रेक्शन बदल दिया गया है यह तारीख 21 1124 से अणुव्रत भाई 632 जो की सवाई माधोपुर आएगी वह सवाई माधोपुर 23 तारीख को आएगी वह अब सवाई माधोपुर से बीकानेर तक इलेक्ट्रिक ट्रेक्शन के साथ जो की TKD तुगलकाबाद शेड WCR का होगा
वह बीकानेर तक आएगी
और इस प्रकार यह गाड़ी मदुरई से बीकानेर तक End to End और इलेक्ट्रिक ट्रेक्शन से आएगी
मदुरई से सवाई माधोपुर तक इसको रॉयपुरम का इलेक्ट्रिक ट्रेक्शन जो की साउदर्न रेलवे का होगा लाएगा
और सवाई माधोपुर से बीकानेर तक इसमें TKD शेड का लोको WCR रेल का इलेक्ट्रिक ट्रेक्शन आएगा
यह 21 Nov 24 से मदुरई से लागूह होगा
बीकानेर से end to end इलेक्ट्रिक ट्रेक्शन 24 11 से बीकानेर से प्रभावी होगा
यह 19 11 2024 के T /425/Loco link E 54922 H O JPR ke सर्कुलर से आदेश पारित हुआ है

2 months ago | [YT] | 196

Rakesh Sharma Bikaner

WDP 4B 40251 TKD Dedicated to Rani Durgavati
Loco No. 40251
Loco Class WDP-4D
Sub Class
Shed Tughlakabad Diesel Loco Shed (TKDD)
Manufacturer BLW
Manufacturer Serial No. WDP-4-344

Loco Name Rani Durgavati


Livery WDP-4D Brown with yellow band and fonts
Comments IGBT & 4500hp. Air brake only. Widened cab profiles. Cab-2 smaller/wider than Cab-1. Additional headlamps Lamps provided at Cow Catcher for better visibility in Fog


रानी दुर्गावती
अकबर की फौज के छक्के छुड़ाने वाली रानी दुर्गावती के बारे में जानिए
गोंडवाना की रानी दुर्गावती वो वीरांगना थीं जिन्होंने अकबर की फौज से कई दिनों तक लड़ाई की और फिर अपने प्राण त्याग दिए। आज हम आपको उनकी कहानी बताने जा रहे हैं।
भारतीय इतिहास में ऐसी कई रानियां भी रही हैं जिन्होंने अपने जीवनकाल में दुश्मनों से बैर लिया है। सिर्फ झांसी की रानी ही नहीं बल्कि देश के अन्य राज्यों की रानियों ने भी अपने-अपने स्तर पर कई युद्ध लड़े हैं और वीरगति को प्राप्त हुई हैं। आज हम उन्हीं में से एक रानी दुर्गावती का जिक्र करने जा रहे हैं जिन्होंने अपनी और राज्य की रक्षा के लिए पूरी जिंदगी लगा दी।

15वीं सदी में मुगल राजा अकबर का राज पूरे भारत में तेजी से फैल रहा था। कई हिंदू राजाओं के साथ संधि कर मुगलिया सल्तनत अपना साम्राज्य बनाने में कामयाब रही थी। जिन हिंदू राज्यों ने अपना राज्य नहीं दिया था उन्हें मुगलों के साथ युद्ध करना पड़ रहा था। ऐसा ही एक राज्य था गोंडवाना जिसे जीतने के लिए मुगलों को बहुत मुश्किल हुई थी। उस समय गोंडवाना की रक्षा के लिए मुगलों की सेना के सामने खड़ी थी रानी दुर्गावती।
1524 में उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में राजा कीर्तिसिंह चंदेल के घर जन्मी दुर्गावती का जन्म दुर्गा अष्टमी के दिन हुआ था। यही कारण है कि उनका नाम भी दुर्गावती रखा गया। वो अपने पिता की इकलौती संतान थीं और यही कारण था कि उन्हें बचपन से ही घुड़सवारी, तलवारबाजी, तीरंदाजी जैसी युद्ध कलाओं की शिक्षा मिली थी। अकबरनामा में भी रानी दुर्गावती का जिक्र है और ये माना जाता है कि वो तीर और बंदूक चलाने में माहिर थीं। 18 साल की उम्र में उनका ब्याह गोंड राजवंश के राजा संग्राम शाह के बड़े बेटे दलपत शाह से हो गया था।
उस वक्त गोंड वंशजों का राज्य चार जगहों पर था गढ़-मंडला, देवगढ़, चंदा और खेरला जिसे मूलत: गोंडवाना कहा जाता था। दलपत शाह का राज्य गढ़-मंडला था।
इसे जरूर पढ़ें- जानिए राजस्थान की उस रानी के बारे में जिसने मेवाड़ की खातिर दिया था अपना बलिदान
पति की मृत्यु के बाद संभाला राज्य
रानी दुर्गावती की शादी 1542 में हुई थी ये पहली बार था जब किसी राजपूत राजकुमारी का गोंड वंश में विवाह हुआ था। 1545 में उनके बेटे वीर नारायण का जन्म हुआ था। उनकी खुशियां कुछ ही समय की रहीं और 1550 में उनके पति का निधन हो गया। 5 साल के राजकुमार को सिंहासन पर बैठाकर रानी ने कामकाज का जिम्मा अपने सिर ले लिया। काम संभालते हुए 2 ही साल हुए थे कि सुल्तान बाज बहादुर ने राज्य पर हमला बोल दिया पर रानी दुर्गावती ने अपनी फौज का नेतृत्व कर ये युद्ध जीत लिया। 1562 में अकबर ने मालवा को भी मुगल साम्राज्य में जोड़ लिया।
रानी ने अपने शासनकाल में अपने राज्य में विकास करवाया। उन्होंने अनेक मठ, बावड़ियां, कुंए और धर्मशालाएं बनवाईं। उन्होंने अपने नाम पर रानीताल, दीवान आधार सिंह के नाम पर आधारताल और अपनी दासी के नाम पर चेरीताल भी बनवाया था।
उस समय अकबर की सेना के प्रमुख असफ खान ने राज्य पर हमला बोल दिया। कुछ रिपोर्ट्स मानती हैं कि असफ खान की नजर रानी दुर्गावती पर थी। रानी को सिर्फ अपने राज्य को नहीं बल्कि खुद को भी दुश्मनों से बचाना था। 1562 में जब गोंड पर हमला हुआ तो रानी ने अपने बेटे के साथ 3 बार मुगल सेना का सामना किया।
उनकी हजारों की फौज के सामने रानी के 500 सिपाही कम पड़ गए, लेकिन फिर भी रानी ने बहुत चतुराई दिखाई। उनके सैनिक जबलपुर स्थित नराई नाला पहुंचे जो एक पहाड़ी क्षेत्र था और उसके एक तरफ गौर नदी थी और दूसरी तरफ नर्मदा। जैसे ही दुश्मन घाटी में आया तब रानी की छोटी सी सेना ने हमला बोल दिया और मुगलों को खदेड़ दिया। इस प्रथम युद्ध में रानी का सेनापति मारा गया और फिर रानी ने खुद को फौज का सेनापति घोषित कर दिया।
अगले ही दिन मुगलों की सेना हार का बदला लेने के लिए और सैनिक लेकर पहुंची और तब तक रानी के पास सिर्फ 300 ही सैनिक शेष थे। इस युद्ध में उन्होंने कई सैनिकों को मारा और मुगलों की सेना लगभग आधी रह गई। तब तक वीर नारायण को भी बहुत सारे तीर लग चुके थे और रानी को हार नजदीक दिख रही थी। तब रानी ने अपने दीवान आधार सिंह को अपनी जान लेने को कहा। हालांकि, आधार ये ना कर पाए और रानी ने तब खुद ही अपनी जान ले ली।
उनका बेटा अब भी युद्ध लड़ रहा था और फिर वीरगति को प्राप्त हो गया। रानी दुर्गावती ने अपनी पूरी जिंदगी अपने राज्य को दे दी थी।
भारत सरकार ने साल 1988 में रानी दुर्गावती के लिए पोस्टल स्टाम्प भी जारी किया था। रानी दुर्गावती के बारे में जानकर आपको कैसा लगा ये हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें।

2 months ago | [YT] | 208

Rakesh Sharma Bikaner

04715/Bikaner - Sainagar Shirdi Special Fare Special ,
04715 बीकानेर - साईनगर शिरडी विशेष किराया स्पेशल

BKN/Bikaner Junction -- SNSI/Sainagar Shirdi Terminus

Bedroll/Linen: Don't know change

Pantry/Catering
✕ Pantry Car
✕ On-board Catering
✓ E-Catering
Dep: BKN/Bikaner Junction
Arr: SNSI/Sainagar Shirdi Terminus
Other Trains in the News
RSA - Rake Sharing
04711 – 04712 – 04715 – 04716
• Single Rake
• PM at Bikaner with RBPC.

04711/Bikaner - Bandra Terminus Special Fare Special (via Jaipur)
04712/Bandra Terminus - Bikaner Special Fare Special (via Jaipur)

04715/Bikaner - Sainagar Shirdi Special Fare Special
04716/Sainagar Shirdi - Bikaner Special Fare Special

Loco
Reversals
SWM/Sawai Madhopur Junction
NAD/Nagda Junction
ICF Rake
Rake/Coach Position
SWM
Last Arrival: Sun Dec 01, 2024 at SNSI/Sainagar Shirdi Terminus

Travel Time: 30h 50m
22 halts
Distance: 1750 km
Avg Speed: 57 km/hr
Type: Mail/Express

Rake Zone: NWR/North Western
Departs @ 12:10 Platform# 04 on Saturday from BKN
Arrives @ 19:00 +1 night on Sunday @
SNSI/Sainagar Shirdi Trm

22 halts.
229 intermediate Stations between Bikaner Junction and Sainagar Shirdi Terminus

2 months ago | [YT] | 232

Rakesh Sharma Bikaner

First Day First Electric Traction for Train 12495 Pratap SF Express
12495 Pratap SF Express
12495 प्रताप सुपरफास्ट एक्सप्रेस BKN/Bikaner Junction -- KOAA/Kolkata

The 12495 / 12496 Pratap Superfast Express is a Express train belonging to North Western Railway zone that runs between Bikaner Junction and Kolkata Chitpur.
The train received its LHB coach. 62 km/h (39 mph) average including halts.


BKN/Bikaner Junction -- KOAA/Kolkata

Bedroll/Linen: AVAILABLE change

Inaugural Run
Thu Jan 07, 2010

Pantry/Catering
✕ Pantry Car
✓ On-board Catering
✓ E-Catering
E-Catering is Available at JP, BKI, AF, TDL, CNB, PRYJ (Allahabad),...
more...
Dep: BKN/Bikaner Junction
Arr: KOAA/Kolkata

RSA - Rake Sharing
22473/22474
22473/Bikaner - Bandra Terminus SF Express
22474/Bandra Terminus - Bikaner SF Express

Loco
BKN HWH WAP 7 HWH or BGKD
Previously it was
BKN - AF
BGKT/WDP-4B
BGKT/WDP-4D
AF - KOAA
HWH/WAP-7
LHB Rake
Rake/Coach Position
0 L 1EOG 2GEN 3GEN 4 S1 5 S2 6 S3 7 S4 8 S5 9 M2 10 M1 11BE1 12 B1 13 B2 14 B3 15 B4 16 B5 17 B6 18 A1 19GEN 20GEN 21EOG


Travel Time: 31h 5m
19 halts
Distance: 1889 km
Avg Speed: 61 km/hr
Max Permissible Speed: 130 km/hr
Type: SuperFast
Rake Zone: NWR/North Western
Departs @ 06:00 Platform# 2 on Thursday from BKN/Bikaner Jn

Arrives @ 13:05 +1 night Platform# 4 on Friday @ KOAA/Kolkata

19 halts.
321 intermediate Stations between Bikaner Junction and Kolkata

2 months ago | [YT] | 209

Rakesh Sharma Bikaner

वरिष्ठ नागरिक तीर्थ यात्रा योजना में 23 अक्टूबर को एक विशेष ट्रेन बीकाने से वाया सूरतगढ़ हनुमानगढ़ होते हुए अयोध्या, हरिद्वार और ऋषिकेश के लिए पहली ट्रेन आज रवाना हुई
6 दिन और पांच रातें वरिष्ठ नागरिक इस ट्रेन के माध्यम से हरिद्वार, ऋषिकेश और अयोध्या की यात्रा करेंगे। देवस्थान विभाग बीकानेर के सहायक आयुक्त गौरव सोनी ने बताया कि इस ट्रेन में 805 यात्रियों में 25 लोग मेडिकल स्टॉफ और अनुदेशक शामिल हैं। बीकानेर और चूरू के चिह्नित यात्रियों को महेश कुमार शर्मा के नेतृत्व में देवस्थान विभाग के कर्मचारियों ने संपर्क किया।
राजस्थान सरकार के देवस्थान विभाग की वरिष्ठ नागरिक तीर्थ यात्रा योजना 2024 के अंतर्गत विशेष रेलगाड़ी बीकानेर से हरिद्वार-ऋषिकेश-अयोध्या वाया सूरतगढ़-हनुमानगढ़ ट्रेन 23 अक्टूबर को प्रातः 11.15 बजे बीकानेर रेलवे स्टेशन से रवाना रवाना हुई। देवस्थान विभाग की आयुक्त वासुदेव मालावत ने बताया कि इस यात्रा गाड़ी में बीकानेर रेलवे स्टेशन से 400, सूरतगढ़ रेलवे स्टेशन से 100 एवं हनुमानगढ़ रेलवे स्टेशन से 280 कुल 780 यात्री यात्रा में सवार होंगे। इन 780 यात्रियों को उक्त तीनों रेलवे स्टेशन पर पहुंचने हेतु सूचित किया जा रहा है ताकि समस्त प्रक्रिया समय पर पूर्ण कर सके। सहायक आयुक्त बीकानेर के अधीन बीकानेर एवं चूरू जिले के यात्रियों को बीकानेर रेलवे स्टेशन पर प्रातः 6 बजे एवं सहायक आयुक्त हनुमानगढ़ डिवीजन के अनूपगढ़ जिले के यात्रियों को सूरतगढ़ रेलवे स्टेशन पर प्रातः 9 बजे व हनुमानगढ़ रेलवे स्टेशन पर हनुमानगढ़ एवं श्रीगंगानगर जिले के यात्रियों को प्रातः 9 बजे से रिपोर्ट करना है। यात्रा में सभी यात्रियों की देखरेख हेतु 1 ट्रेन प्रभारी, प्रत्येक कोच में 2 सरकारी कर्मचारियों को अनुदेशक एवं चिकित्सा व्यवस्था हेतु एक डॉक्टर व 2 नर्सिंग अधिकारी भी रहेंगे जो यात्रा के दौरान यात्रियों के स्वास्थ्य का ध्यान रखेंगे। यात्री अपने साथ ऑनलाईन भरे गये आवेदन पत्र की हार्ड कॉपी मय प्रमाणित चिकित्सीय प्रमाण पत्र, मूल जनआधार, आधार कार्ड, दो पासपोर्ट साईज फोटो साथ लेकर आना अनिवार्य होगा।
ट्रेन में बीकानेर और चूरू के 400, अनूपगढ़ के 100, श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ के 280 वरिष्ठ नागरिकों के अलावा ट्रेन प्रभारी, अनुदेशक और चिकित्सा स्टॉफ के 25 लोग शामिल होंगे। यात्रा में बीकानेर से ही ट्रेन प्रभारी, सहायक ट्रेन प्रभारी के अलावा 12 अनुदेशक लगाए गए हैं। उन्होंने बताया कि यात्रा के लिए वरिष्ठ नागरिकों को बीकानेर प्रभारी श्वेता चौधरी, चूरू प्रभारी सुनीता मेहरा, महेशकुमार शर्मा, रितेश श्रीमाली, गोपाल आचार्य, अनुसुइया शर्मा, सोनू शर्मा, पुरुषोत्तम शर्मा और कंप्यूटर आपरेटर कल्पिश शर्मा तीर्थयात्रियों की सेवा-सुश्रूषा के लिए स्टेशन पर मौके पर रहें।
यात्री सुबह 6 बजे पहुंचेंगे प्लेटफार्म नंबर 6 पर चयनित यात्रियों को बुधवार को सुबह 6 बजे बीकानेर रेलवे स्टेशन प्लेटफार्म नंबर 6 पर बुलाया गया था । वरिष्ठ नागरिक अपने साथ आवेदन का मूल फॉर्म जो ऑनलाइन भरा था वो लेकर आए। इसके अलावा मूल मेडिकल प्रमाण पत्र, 2-2 रंगीन फोटो, आधार कार्ड की फोटोकॉपी, जन आधार कार्ड की फोटोकॉपी जिसे आवेदन के पीछे लना था
आज की ट्रेन के लोको पायलट सुखलाल नायक और असिस्टेंट लोको पायलट रवि मीणा एवं स्टेशन मास्टर गजेंद्र सिंह सांखला और अशोक राठौड़ जी थे

3 months ago | [YT] | 209

Rakesh Sharma Bikaner

चेन पुलिंग करने से ट्रेन कैसे रुक जाती है, खींचने वाले का कैसे पता लगा लेती है पुलिस?

Train Alarm Chain Pulling
ट्रेन में आपात स्थिति में हम सभी लोगों के पास ट्रेन चेन पुलिंग का विकल्प होता है जिसे खींचने से ट्रेन रुक जाती है। लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर चेन पुलिंग से ट्रेन कैसे रुक जाती है?

Train Chain Pulling
रेल यात्रा के दौरान कभी भी आपात स्थिति आ सकती है और इस दौरान आपके पास एक ही विकल्प होता है ट्रेन किसी भी तरह से रुक जाए। इस संकट से निकलने के लिए एक ही उपाय है ट्रेन चेन पुलिंग यानी ट्रेन की चेन खींचना। क्योंकि संकट की स्थिति में या चलती ट्रेन में ड्राइवर या गार्ड की बोगी में पहुंचना एक तरह से असंभव काम है। इसी ही ध्यान में रखते हुए, ट्रेन के प्रत्येक कोच में इमरजेंसी (या अलार्म) चेन लगी होती है, जो खींचे जाने पर चलती ट्रेन को रोक सकती है। तो चलिए आज आपलोगों को बताते हैं आखिर ट्रेन चेन पुलिंग
Train Chain Pulling कैसे काम करती है।

जब कोई चेन पुलिंग करता है तो ट्रेन कैसे रुक जाती है? दरअसल, अलार्म चेन ट्रेन के मेन ब्रेक पाइप से जुड़ी होती है। यह ब्रेक पाइप लगातार हवा का दबाव बनाए रखता है, जिससे ट्रेन को आसानी से चलने में मदद मिलती है। जब आपातकालीन चेन या जंजीर खींची जाती है, तो ब्रेक पाइप में जमा हवा एक छोटे से छिद्र के माध्यम से निकल जाती है। हवा के दबाव में गिरावट से ट्रेन की गति धीमी हो जाती है। लोको पायलट हवा के दबाव में इस गिरावट को तुरंत नोटिस करता है और ट्रेन को चलाना शुरू कर देता है। चूंकि ट्रेन संकरी पटरियों पर चलती है, इसलिए इसे अचानक नहीं रोका जा सकता है, क्योंकि इससे असंतुलन पैदा हो सकता है और पटरी से उतर सकती है।
आरपीएफ को कैसे पता चलता है कि किसने जंजीर खींची? जैसे ही अलार्म की चेन खींची जाती है, आरपीएफ कर्मी बिना समय गंवाए कोच तक पहुंच जाते हैं। यह कई आश्चर्य करता है - कैसे? खैर, ट्रेन के डिब्बों में इमरजेंसी फ्लैशर्स लगे होते हैं, जो कोचों की साइड की दीवारों पर लगे होते हैं। आपातकालीन चेन खींचते ही कोच (जिसमें चेन खींची गई थी) से फ्लैशर्स सक्रिय हो जाते हैं। लोकोमोटिव पायलट के नियंत्रण में एक लाइट भी झपकना शुरू कर देती है और गार्ड, सहायक चालक और आरपीएफ कर्मी चेन पुलिंग के स्थान पर पहुंच जाते हैं और चेन को मैन्युअल रूप से रीसेट करने में सक्षम हो जाते हैं। एक बार चेन रीसेट हो जाने के बाद, हवा का दबाव धीरे-धीरे सामान्य हो जाता है और ट्रेन चलने के लिए तैयार हो जाती है। नोट: जबकि आपातकालीन फ्लैशर्स कोच को दूर कर सकते हैं जहां चेन पुलिंग हुई थी, यह नहीं बता सकता कि किसने चेन खींची। चेन खींचने वाले की पहचान जानने के लिए आरपीएफ के जवानों को यात्रियों से पूछताछ करते देखा जा सकता है। जंजीर खींचने की सजा क्या है?
Train Chain Pulling Punishment
भारतीय रेलवे अधिनियम की धारा 141 के तहत वैध कारणों के बिना जंजीर खींचना एक दंडनीय अपराध है। रेलवे अधिनियम की धारा 141 के अनुसार, यदि कोई यात्री बिना किसी पर्याप्त कारण के ट्रेन के प्रभारी रेल कर्मियों और यात्रियों के बीच संचार में हस्तक्षेप करता है, तो उस व्यक्ति को दोषी माना जाएगा। दोषी साबित होने पर व्यक्ति को एक वर्ष के कारावास या 1,000 रुपये तक के जुर्माने से दंडित किया जाएगा।
दोषी साबित होने पर न्यूनतम सजा INR 500 (पहले अपराध के लिए) या तीन महीने के कारावास (दूसरे या बाद के अपराध के लिए) से कम नहीं होनी चाहिए।

3 months ago | [YT] | 160

Rakesh Sharma Bikaner

रावण के पुतलों के लिए प्रसिद्ध एशिया का सबसे बड़ा मार्केट तातारपुर
दिल्ली में छाया रावण का राज
तातारपुर रावण के पुतलों के लिए मशहूर है और उसे एशिया में इस तरह का सबसे बड़ा बाजार माना जाता है।
बुराई का प्रतीक रावण यूं तो लंका का राजा था मगर सितंबर-अक्टूबर में उसका राज दिल्ली में होता है। पश्चिमी दिल्ली के टैगोर गार्डन और सुभाष नगर के बीच संकरा इलाका तातारपुर पड़ता है, जहां हर साल दशहरे से पहले रावण का दरबार सज जाता है और चारों ओर रावण, कुंभकर्ण तथा मेघनाद ही नजर आते हैं। तातारपुर रावण के पुतलों के लिए मशहूर है और उसे एशिया में इस तरह का सबसे बड़ा बाजार माना जाता है। तातारपुर में बने ये पुतले दिल्ली में ही नहीं उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और कई बार तो विदेश तक जाते हैं।
तातारपुर में घूमेंगे तो आपको बड़ी-बड़ी भुजाएं, मुड़े हुए पैर, तंबू जैसे घाघरे, विशाल तलवारें और विचित्र मूंछों वाले छोटे-बड़े चमकीले कागज के चेहरे सड़क के किनारे दिख जाएंगे। उनमें कुछ रंगे होंगे और कुछ रंगने का इंतजार कर रहे हों। इन सभी से अलग-अलग आकार के रावण बनते हैं मगर बाजार में सबसे ज्यादा धूम मझोले कद के रावण की है। 10 साल से रावण बना रहे पुनीत बताते हैं कि इस साल सबसे ज्यादा मांग मझोले कद के रावण की ही है।
एक समय था जब पटाखों की आवाज के साथ रावण के चिथड़े उड़ते देख बच्चे रोमांचित हो जाते थे मगर अब यह आनंद दिल्लीवासियों से छिन गया है। प्रदूषण पर काबू रखने के लिए इस साल भी राजधानी में पटाखों की खरीद और बिक्री पर पूरी तरह प्रतिबंध है। पर्यावरण के अनुकूल ग्रीन पटाखे मिल रहे हैं मगर प्रतिबंध का असर रावण की बिक्री पर पड़ा है।
तातारपुर में कारीगरों के चेहरे अच्छी मांग से खिल जरूर गए हैं मगर मुनाफा घटने की टीस भी चेहरे पर साफ नजर आ रही है। करीब 40 साल से रावण बना रहे विजेंद्र कुमार कहते हैं कि रावण को तैयार करने में लगने वाले कच्चे माल (बांस, आटा, पेपर और पेंट आदि) के दाम पिछले 1 साल में ही करीब दोगुने हो गए हैं। इससे रावण बनाने की लागत भी बढ़ गई है मगर पुतले की कीमत में नाम मात्र का इजाफा हुआ था। पिछले साल 500 से 750 रुपये फुट बिकने वाला पुतला इस बार 800 से 1200 रुपये फुट पर मिल रहा है।

3 months ago | [YT] | 95

Rakesh Sharma Bikaner

First Day First Electric Traction to Train 22307 Howrah Bikaner SF Express arrived on Bikaner 05.10.24

दुनिया की कई महाशक्तियां नहीं कर पाई जो काम, भारत ने संभव कर दिखाया, 98 % रेल विद्युतीकरण पूरा

भारत का रेल नेटवर्क जल्दी ही 100 प्रतिशत विद्युतीकरण की ऐतिहासिक उपलब्धि को हासिल कर लेगा।
तो 2024-25 में भारतीय रेल नेटवर्क का पूरी तरह से बिजली पर निर्भर हो जाएगा। यह बात भारतीय रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा बताई गई है। अधिकारियों ने बताया कि ब्रॉड गेज का 95 प्रतिशत विद्युतीकरण का काम पूरा हो चुका है और 2024-25 के आवंटित बजट पर नजर डालें तो रेलवे जल्द ही 100 प्रतिशत के लक्ष्य को हासिल कर सकता है।

6,500 करोड़ के बजट के साथ हासिल होगा लक्ष्य
रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा 2024-25 वित्त वर्ष के दौरान 6,500 करोड़ रुपये के समर्पित बजट के साथ भारतीय रेलवे पूर्ण रूप से बिजली पर निर्भर हो जाएगा।
इससे रेलवे प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा।
उन्होंने कहा कि विद्युतीकरण कार्यक्रम केवल पर्यावरणीय लाभों के लिए नहीं बल्कि आर्थिक विकास के लिए भी जरूरी है।
इससे देश में रोजगार पैदा होगा और बाहर से आयात होने वाले ईंधन पर भारत की निर्भरता कम होगी।
इस तरह से भारतीय रेलवे देश की अर्थव्यवस्था के एक आधुनिक और कुशल इंजन के रूप में स्थापित होगा।

भारतीय रेलवे के लिए महत्वपूर्ण उपलब्धि
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि भारत अपने विशाल नेटवर्क का तेजी से विद्युतीकरण कर भविष्य के लिए महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है।
साल 2023-24 के दौरान कुल मिलाकर 7188 किलोमीटर रूट को विद्युतीकृत किया है,
जो एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।
भारतीय रेलवे ने अलग अलग परियोजनाओं पर जोर देकर अपने ब्रॉड गेज नेटवर्क के लगभग 95 प्रतिशत हिस्से को बिजली पर निर्भर कर दिया है।

‘स्वच्छ और कुशल विकल्प है इलेक्ट्रिक ट्रेन’
दशकों से भारतीय रेलवे पर डीजल इंजनों का दबदबा रहा है लेकिन अब इलेक्ट्रिक ट्रेनें एक स्वच्छ और कुशल विकल्प प्रदान कर रही हैं।
अब बिजली द्वारा ट्रेनों को शक्ति प्रदान का जाती है,
जिससे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता खत्म हो जाती है
और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी आती है।

3 months ago | [YT] | 159